बताओ तो शिकायत कौन से लहजे में की जाये।
ये गुस्ताखी यकायक या कि फिर हिज्जे में की जाये।।
मेरे सच बोलने से गर तुम्हारी शान घटती है
तो बतलाओ ये कोशिश कौन से दरजे में की जाये।।
हमारे देश के हालात बिगड़े हैं तो बतलाओ
मरम्मत कौन से हिस्से में किस पुर्जे में की जाये।।
अज़ल से हश्र तक कोशिश में है मयनोश और वाईज़
अगर जन्नत हैं तो फिर किस तरह कब्ज़े में की जाये।।
रहमदिल है ख़ुदा सारे गुनाह जब माफ़ करता है
तो बेहतर है की तौबा आखिरी रोज़े में की जाये।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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