मैंने सोचा था दान मांगेगा।

क्या पता था कि जान मांगेगा।।

मांगता तीर हँस के दे देता

पर वो शातिर कमान मांगेगा।।

बशर दो गज़ ज़मीन में खुश है

किसने बोला मकान मांगेगा।।

चोट दिल की कहाँ से दिखलाये

यार मेरा निशान मांगेगा।।

काट देगा मेरे परों को जब

तब वो मुझसे उड़ान मांगेगा।।

एक सोने का पींजरा देकर

वो मेरा आसमान मांगेगा।। 

कुछ न देगा सिवाय बातों के

और घर खेत खान मांगेगा।।


सुरेशसाहनी, कानपुर

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