कामी तुलसी हो गए भगवद भक्त अपार।
रत्नावलि विद्योत्तमा का ही थीं अवतार।।
रत्नावलि ने कहा था भजो राम का नाम।
तब मानस लिख हो गए तुलसी सुख के धाम।।
मां रत्नावलि दीजिए मुझ को आशीर्वाद।
मातु कृपा से आपकी मिटते सकल प्रमाद।।
कामी तुलसी हो गए भगवद भक्त अपार।
रत्नावलि विद्योत्तमा का ही थीं अवतार।।
रत्नावलि ने कहा था भजो राम का नाम।
तब मानस लिख हो गए तुलसी सुख के धाम।।
मां रत्नावलि दीजिए मुझ को आशीर्वाद।
मातु कृपा से आपकी मिटते सकल प्रमाद।।
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