(मेरी इस व्यंग्य रचना पर आशीर्वाद दें)

कल नारी कमजोर थी

आज एकता (कपूर)का जमाना है

अब ये अलग बात है कि यह

तर्क है या फिर बहाना है

सीता के बनवास से आधुनिक

नारियों को सन्देश मिला है

कि तीन  सासू माँओं के

 साथ रहने से तो 

जंगल ही भला है।।

एक पंडित जी ने बताया

अरे बेटा!

तुम्हे कुछ पता हैं?

ये जो  बुद्धू बक्से की 

स्मृति श्वेता या एकता हैं,

 न तो ये देवी हैं

नाही ये अप्सरा हैं

अरे ये सब तो त्रेतायुग की 

ताडिका हैं,  त्रिजटा हैं

मंथरा हैं।

और अब ये मत सोचो

कि ये  सिर्फ जंगल में अथवा

दशरथ के अंतःपुर में हैं

अब तो इनकी पहुँच

भारत के हर घर में है

हर घर में हैं।

(copyright एक्ट के अंतर्गत सर्वाधिकार सुरक्षित)

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