सूखे हुये गुलाब की खुशबू नहीं गयी।

दिल से तेरा ख्याल गया तू नहीं गयी।।

दुनिया ज़हाँ के फ़रको- फ़साईल यहां हुए

लेकिन मेरी ज़ुबान से उर्दू नहीं गयी।।ss

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है