जिंदगी मुख़्तसर नही होती।
आदमी से बसर नही होती।।
मरते दम तक जवान रहती हैं
हसरतों की उमर नही होती।।
मौत सबकी खबर तो लेती हैं
मौत की कुछ ख़बर नही होती।।
ख्वाहिशें बेसबर तो होती हैं
हासिलत बेसबर नही होती।।
हो सके तो किसी से मत लेना
बददुआ बेअसर नही होती।।
हमने कितनों को कहते देखा है
ज़िन्दगी अब गुजर नही होती।।
तू भी कितने सवाल करता है
इक ज़रा सी सबर नही होती।।
जन्नतों से हमें उम्मीद नही
रहती दुनिया में गर नही होती।।
Suresh Sahani kanpur
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