हँस के तूफान को हवा दे हम।

और मल्लाह को सज़ा दें हम।।


जो न बोले उसे मिटा दें हम।

जो भी बोले उसे दबा दें हम।।


कल न ये भी मशाल बन जायें

इन दियों को अभी बुझा दें हम।।


काफ़िले हैं ये नौनिहालों के

राह इन को गलत बता दें हम।।


जो भी हक़ मांगे देश मे अपना

उसको रेड इंडियन बना दें हम।।


सर उठा कर के जो भी बात करे

उसको दुनिया से ही उठा दें हम।।


देश विज्ञान से नहीं चलता

देश को मध्ययुग में ला दें हम।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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