वो ग्वाले वो गोकुल वो गैया कहाँ हैं

सुदामा बहुत हैं कन्हैया कहाँ हैं......


वो पनिहारिने और पनघट कहाँ है

जो मटकी को फोड़े वो नटखट कहाँ है

जो लल्ला पे रीझी थीं मैया कहाँ हैं..... 


सरेआम पट खींचते हैं दुशासन

हैं चारो तरफ गोपिकाओं के क्रंदन

पांचाली के पत का रखैया कहाँ है.....


अर्जुन को उपदेश अब कौन देगा

गीता का सन्देश अब कौन देगा

वो मोहन वो रथ का चलैया कहाँ है.. ..


बाल होठों पे मुस्कान आने को तरसे

बालिकाएं निकलती हैं डर डर के घर से

कलियानाग का वो नथैया कहाँ है....


नंदलाला वो बंशी बजैया कहाँ है।....

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