बड़ मनईन से नाता कईसन।

का ऊ हमके आपन कहिहन।।

उनकर महल मुबारक उनके

आपन मड़ई होले आपन।।

तुहरे पड़ल न झांके अइहें

अपने काम में घर खन डरिहन।।

अपने गरजी परिहन गोड़े 

तुहरे गरजी नाही चिनिहन।।

बड़कन के मिसरी माखन से

अपने घर के रोटी नीमन।।

बाकी भईया राउर मरजी

रउरे नीमन लागे जइसन।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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