पंडित नेहरू बड़े स्वार्थी इंसान थे। इसीलिए उन्होंने सत्ता को विकेन्द्रित किया। उनसे बाबा साहेब नाराज नहीं रहे,लेकिन बाबा साहेब के अनुयायी नाराज रहते हैं।शहीदे आज़म सरदार भगत सिंह ने उन्हें एक व्यापक सोच और दूरदृष्टि वाला इंसान बताया था। जब भारत आज़ाद हुआ तब देश का खजाना खाली था।वैसे इस आर्थिक संकट से ब्रिटिश सरकार और ब्रिटिश इंडिया सरकार दोनों जूझ रही थी। उन्होंने इसी कारण भारत को आज़ाद करके अपना पीछा छुड़ाया।

 ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू जी ने देश की बागडोर सम्हाली।सरदार पटेल को देश की आन्तरिक मामलों का मंत्री बनाया। बाबा साहेब को न्याय व्यवस्था थी।इसी प्रकार सबकी योग्यतानुसार जिम्मेदारियां सौपी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो ध्रुवोय हो चुका था।ऐसे कठिन दौर में विश्व को गुट निरपेक्ष मंच देना शायद  उनकी मूर्खता रही होगी। वे जानते थे कि देश के विकास के लिए आधारभूत जरूरतों के मामले आत्मनिर्भर होना जरूरी है। देश में पैसा नहीं होने के चलते उन्होंने विदेशी सहयोग से भारी उद्योग धंधे लगवाए ।देश में बेरोजगारी कम करने के लिए विकल्प खोजे। उनके कारण देश में आज लगभग तीस करोड़ मध्यम वर्ग और दस करोड़ निम्न मध्यम वर्ग तैयार हो गया।देश के इतने बड़े हिस्से को गरीबी रेखा से हटाकर सुविधाभोगी वर्ग में बदलने का दोष पंडित नेहरू जी पर सदैव रहेगा।

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