व्यंग
मुंबई की एक बिल्डिंग में एक गली का कुत्ता बारिश से बचने के लिए घुस आया, गार्ड ने उसे पीटा और कुत्ता बेचारा मर गया.... अब लोगों ने उस मृत कुत्ते का नाम लकी रखा है, और उसके लिए आज क़रीब ५०० लोगों ने प्लेकार्ड्स लेकर प्रोटेस्ट किया है, जिनपे लिखा हुआ है "जस्टिस फ़ोर लकी"।
मैं भारत के उच्च मध्यम वर्ग या सो कॉल्ड हाई क्लास की न्यायप्रियता का कायल भी हूँ। वे कभी नहीं चाहते कि कोई कम आय वाला अथवा गरीब बन्दा भूल से भी कोई अपराध करे।इसीलिए जब गार्ड ने कुत्ते को मारा तो पूरे आकुल सोसाइटी के लोग कुत्ते को न्याय दिलाने निकल पड़े।इनके यहाँ सबके हृदय एक साथ झनझनाते हैं। कुत्ते की मार का दुख बच्चे से लेकर बूढ़ों तक समान रूप से व्याप्त है। कुत्ता सर्वहारा है और गॉर्ड शोषक वर्ग का मुक़म्मल रिप्रेजेंटेटिव।आख़िर क्यों ना हो? इन सो कॉल्ड हाई क्लास में आदमी से ज्यादा कुत्तों से प्यार किया जाता है, पर वह कुत्ता विदेशी होना चाहिये। देशी की क्या औकात। धोती पहनने वाले देहाती को तो टीटी भी बन्दे भारत ट्रेन से उसी तरह उतार देता है,जैसे गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से फेंक दिए गए थे।इन अपर मिडिल क्लास वालों में वो युवा ज्यादा कुशल ड्राइवर माने जाते हैं जो रोड रेज़ में किसी देशी पिल्ले को निपटा कर कुशलता से निकल आये होते हैं।अब वो आदमी का था या जानवर का यह कौन देखता है।सोनभद्र में दर्जन भर मार दिए गए।मीडिया प्रियंका चोपड़ा की फिटनेस पर चर्चा करती रही।
मैं तो आकुल धाम सोसायटी की चिंता पर फिदा हूँ कि उन्होंने उस गॉर्ड को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिये मीलार्ड मीडिया के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। आख़िर उस गॉर्ड की हिम्मत कैसे पड़ी कि वो किसी विधायक-सांसद की बराबरी करे।फिर विधायक जी जन प्रतिनिधि होते हैं। उन्हें अपनी सुविधानुसार किसी की जान लेने , जमीन लेने और इज़्ज़त भी लेने का पूरा हक़ है। अगर वे इज़्ज़त नहीं लेंगे तो उनकी इज़्ज़त में इज़ाफ़ा कैसे होगा।इज़्ज़त कोई मांगने से नहीं देता।इज़्ज़त बाज़ार में नहीं बिकती। यह बाहुबल,गनबल और धनबल से छीनी जाती है।अब कुछ लोग उनकी आवश्यताओं का प्रतिरोध करते हैं तो विधायक जी को लोकतंत्र की वैकल्पिक व्यवस्थाओं का सहारा भी लेना पड़ता है।आख़िर वे ऐसी ही सोसायटियों के जनगण के अधिनायक होते हैं जहाँ चरित्र पैसे से और अपराधी हैसियत से तय किये जाते हैं।
#सुरेशसाहनी, कवि और विचारक
(उपरोक्त लेख के प्रथम पैराग्राफ के लिए Haider Rizvi साहब का आभारी हूँ।)
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