आजु सावन खतम होत बा। सावन तीज तेवहार के महीना मानल जाला।हमन पंचई के दिने दालभरल रोटी , आलू चना के सब्जी आ खीर खात रहुँवी। बड़ लईके पतंग उड़ावत रहलें।आ छोटवार कुल गुड़िया पीटे जात रहलें।सावन में लईकी लोग आपन कुल खेल खेलौना नदी नारा के तीरे परवाह करत रहली।आ छोट लईका लोग ओके  छोट लाठी चाहे डाटी से पीट पीट के पानी में बीग देत रहलन।एकर मूल भावना इहे रहे कि लईकिन के ई एहसास हो जा कि अब ऊ बड़ हो गईल बाड़ी आ ओ लोगन के माया मोह  गुड्डागुड़िया आ नैहरे से कम हो जा।ई एक तरह के मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया आ उपचार के तरीका रहुवे। आ छोट लईकन के जनावल जात रहे कि सांप भा नाग कईसन होलें आ उनहन से कईसन बरताव करे के चाही। बेटी बहिन एह ऋतू में नैहरे आ जात रहुवीं। कुल मिला के भाई बहन के त्यौहार रक्षा बंधन मना के भेंट घाट कS के सावन के समापन होत रहुवे।अब ते सांस्कृतिक फ्यूज़न के ज़माना बा।पिज्जा बरगर आ फिरेंड खोजल जात बावे।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है