दुनिया से यारी पर कितने साथ चले।

हारी - बीमारी पर कितने साथ चले।।

मेले में मिल गए   खो गए मेले में

मेला है जारी पर कितने साथ चले।।

दुनिया भर में बने सिकन्दर फिरते थे

लश्कर था  भारी पर कितने साथ चले।।

मेरी मज़बूती में दुनिया साथ रही

मेरी लाचारी पर कितने साथ चले।।

घर से लेकर जग के कोने कोने में 

है रिश्तेदारी पर कितने साथ चले।।

काश ये मरने वाले को भी दिख पाता

अंतिम तैयारी पर कितने साथ चले।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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