अब ऐसे हालात कहाँ है।
लोकतन्त्र की बात कहाँ है।।
अज़गर बैठे ताक रहे हैं
पका पकाया भात कहाँ है।।
जात पांत के इस मेले में
इंसानों की जात कहाँ है।।
किससे डरना कैसा डरना
इतनी काली रात कहाँ है।।
बोलो साथी मिलकर बोलो
खोजो अपना साथ कहाँ है।।
खोज़ो हिम्मत खोज़ो ताकत
खोज़ो वो जज़्बात कहाँ है।।
सुरेशसाहनी
Comments
Post a Comment