फासले क्यों हैं दिलों के दरमियां।
अजनबी जैसा लगे हैं क्यों ज़हाँ।।
इससे अच्छा दूर रहकर ठीक थे
पास के रिश्तों में जब हैं दूरियाँ।।
सोचता हूँ इस उनींदी रात में
माँ अगर होती सुनाती लोरियां।।
गांव में बच्चे सयाने क्या हुए
राह तकती रह गयी झरबेरियाँ।।
मम्मिया चिंतित हैं बच्चों के लिए
प्यार क्यों करती हैं उनकी दादियां।।
पत्थरों को पूज कर अब आदमी
दे रहा है आदमी को धमकियां।।
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