हर तरफ़ गर्द ग़ुबार और धुआँ।

छोड़ कर ज़ीस्त निकल जायें कहाँ ।।

हमने हाकिम नहीं भगवान चुना है

हम को गर्दिश में तरक्की का गुमां

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