आज भी तुम हसीन लगते हो।

गुल से ताज़ातरीन लगते हो

दिन में तुम आफताब जैसे हो

रात में महज़बीन लगते हो।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है