माल महल और बड़ी दुकानें
इन सब के आगे पटरी है
पटरी के आगे पदपथ हैं
सब के आगे राजमार्ग हैं
उसे सड़क भी कह सकते हैं
वे सड़कें भी बँटी हुयी हैं
ठेला गाड़ी से टमटम तक
साइकिलों से एस यू वी तक
बड़ी गाड़ियों के कुछ हक हैं
वे फुटपाथों पर भी चढ़कर
जल्दी आगे जा सकते हैं
ऐसे में कुछ गति अवरोधक
बनकर जो लेटे रहते हैं
बड़े बड़े लोगों को हक़ है
उनको दुःख से मुक्ति दिला दें
ऐसे ऐसे जाने कितने
रेहड़ और पटरियों वाले
फेरी और खोमचे वाले
मिलते जुलते कामों वाले
थोड़े में खुश रहने वाले
पूरे भारत में रहते हैं
फुटपाथों पर ही जीते हैं
फुटपाथों पर ही मरते हैं
छत हो ना हो
सब चलता है
ये धरती को मान बिछौना
ओढ़ आसमां सो जाते हैं
आम जरूरत की चीजों को
सजा पटरियों पर दुकान ये
भारत को बेचा करते हैं
शायद इनको पता नहीं है
देश बेचना किनका हक़ है
आख़िर इन छोटे लोगों को
क्या हक़ है आगे बढ़ने का
क्या हक़ है जिन्दा रहने का
क्या हक़ है ये सपने देखें
रोटी कपड़े और मकान के
इनको इनकी सज़ा मिलेगी
सज़ा मुक़र्रर कर दी जाये
वरना कल ऐसे लोगों से
भारी ख़तरा हो सकता है
उन ऊँचे ऊँचे महलों को
सेठों सरमायेदारों को
सामंतों को राजाओं को
आख़िर इनकी अनदेखी से
या अपनी लापरवाही से
ये टुटपुंजिये इतना आगे निकल चुके हैं
टुटपुंजिये सरकार बनाना सीख गये हैं।।
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