तुम्हारा नाम इस दिल में लिखा है।
ये कहने में मेंरा जाता भी क्या है।।
मैं उसके झूठ को सच मानता हूँ
बदल जाये तो ये उसकी बला है।।
हमारी कौम नावाक़िफ़ है कल से
बस दो घूँट दस रुपया पता है।।
कभी वो काम से मजदूर ही था
मगर अब सोच से भी बुर्ज़ुआ है।।
काश हाथों में अपने काम होता
नही होने से ये तन मन थका है।।
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