मुझसे मुझको चुरा लिया तुमने।
सच कहो क्या बना लिया तुमने।।
हमने कुछ अश्क़ ही गिराए हैं
आसमां सर उठा लिया तुमने।।
तुम मेरी जान लेके घूमे हो
क्या मेरा दिल भी पा लिया तुमने।।
आदमियत भी भूल बैठे हो
ख़ुद को कितना गिरा लिया तुमने।।
चैन छीना मेरी खुशी ले ली
क्या कहें और क्या लिया तुमने।।
मेरी खुशियों को बेचने वाले
दर्द को भी सज़ा लिया तुमने।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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