इस ग़ज़ल पर आप सब की ख़ास तवज्जो चाहूंगा......


कब तक रखें दिलासे लोग।

हारे  भूखे  प्यासे लोग।।


दरिया दरियादिल तो रह

आये हैं सहरा से लोग।।


दिल्ली लुट जाएगी क्या

ढेरों पुलिस जरा से लोग।।


क्यों दहकां से डरते हैं

सारे अच्छे खासे लोग।।


क्यों शासन को लगते हैं

मजमें और तमाशे लोग।।


हाँ जुमलों के भारी हैं

कौड़ी तोला माशे लोग।।


क्या फ़कीर हो जाते हैं

ले हाथों में कासे लोग।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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