चलो हम भूलने की एक कोशिश और और कर लें
कहीं ऐसा न हो तुम याद आओ
फिर तुम्हें हम प्यार कर बैठें
और दिल का आईना
जो आज तो चटखा हुआ है
कल दरक कर टूट जाये
तब तुम्हारी याद
इन टुकड़ों में कुछ ज्यादा चुभेगी
या सताएगी समझ लो
तो अच्छा है तुम्हारे पास कोई दिल नहीं है
तुम्हारे पास दौलत है कई दिल के बराबर
तुम्हारे पास कितने दिल थे
क्यों कर याद होगा.......
सुरेश साहनी,कानपुर
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