है एक दर्द जो दिल को क़रार देता है।

है एक दर्द जो जीवन संवार देता है।।


पर एक दर्द जो दिल की उजाड़ दे दुनिया

ये दर्द कौन मुझे बार बार देता है।।


ये दर्द जिस को में सौ बार मर के जीता हूँ

ये मेरे इश्क़ को खुशियाँ हज़ार देता है।।


तुम्हारे होठ के प्याले नज़र के मयखाने

ये इंतज़ाम नशा ही उतार देता है।।


तुम्हारा इश्क़ ही काफी है बेख़ुदी के लिये

तुम्हारा दर्द बला का खुमार देता है।।


सुरेश साहनी यूँ लिख सके यक़ीन नहीं

कोई तो उसको ये गज़लें  उधार देता है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है