हर गुणा भाग जानते होते।
हम जो खटराग जानते होते।।
आज रिश्तों को आंच ना लगती
काश हम आग जानते होते ।।
हुस्न के फेर में नही पड़ते
हम जो बैराग जानते होते।।
किसलिए आस्तीन में रखते
जो तुम्हें नाग जानते होते।।
रंग जीवन में घुल गए होते
हम अगर फाग जानते होते।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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