रंग भी रंग कम बदलते हैं।
आप तो हर कदम बदलते हैं।।
आप भी कितने क्रांतिकारी हैं
बेतहाशा कलम बदलते हैं।।
दैरो काबा से शहरे- कूफ़े तक
रोज उनके अलम बदलते हैं।।
जो मदावा थे आखिरी दम तक
आज वो दम-ब-दम बदलते है।।
जब तलक मिल न जाये मैखाना
हम भी दैरो हरम बदलते हैं।।
रिन्द अपनी जुबां पे कायम हैं
दीन वाले धरम बदलते हैं।।
कैसे साकी हैं देखकर चेहरे
जो सुराही के खम बदलते हैं।।
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