हम से सभी बड़े हैं बाबा।
केवल हम पिछड़े हैं बाबा।।
सब माया है कहने वाले
धन के लिए लड़े हैं बाबा।।
ऊपर से सुन्दर विचार हैं
मन से गले सड़े हैं बाबा।।
बाबा किनके लिए लड़े तुम
सब के सब अगड़े हैं बाबा।।
जातिवाद से लड़ने वाले
जातिन मे जकडे हैं बाबा।।
शायद इनकी गद्दी छिन गयी
इसीलिए उखड़े हैं बाबा।।
कौन यहाँ दुर्बल है किससे
सारे ही तगड़े हैं बाबा।।
अहंकार छोड़ेगा कैसे
हम कस के पकड़े हैं बाबा।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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