चलो कहीं विश्राम तलाशें।
अजनबियों से भरे शहर में
कोई परिचित नाम तलाशे।।.....
तन मन जीवन सब के सब ही
किस खयाल में भाग रहे हैं
सांसों से लेकर धड़कन तक
सभी ताल में भाग रहे हैं
इस बिगड़े बेताल शहर में
चलो कहीं आराम तलाशें।।......
मिथ्या दम्भ समेटे चेहरे
निश्छल मुस्कानों से निर्धन
मुर्दो जैसे चलते फिरते
उत्सव लेकर एकाकीपन
शमशानों से भरे शहर में
कहाँ खुशी के ग्राम तलाशें।।.....
सुरेश साहनी,अदीब, कानपुर
9451545132
Comments
Post a Comment