आज बस हम और हम थे।

रंग क्या अब्र-ए-करम थे।।

मेहरबाँ था वक्त हम पर

या मेहरबाँ खुद पे हम थे।।

वक्त इक ऐसा भी गुज़रा

हम पे दुनिया के सितम थे।।

जल गये होली में सारे

जो हमारे  दर्दो-गम थे।।

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