अनायास कब भोग रहे हम अपनी पीड़ाओं को

याद करें हम शकुनि संग खेली द्युत-क्रीड़ाओं को

हम अपनी खुद की करनी से कपटी नीच हुए हैं

इसी धरा पर तो रावण राहू मारीच हुए हैं।।

Suresh Sahani

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