भारत के जैसा कहाँ बूआ का सम्मान।

यहाँ भतीजों के लिए बूवा देती  जान।।

बूवा देती जान सदा प्रहलाद बचाती ।

बनकर नयी मिसाल विश्व को बहुत सुहाती ।

गूँज रही चहुँओर आज तक अनुपम कीरत ।

कर बूवा को याद मनाता होली भारत।।

सुरेश साहनी, कानपुर

सुरेश साहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है