कौन से सिद्धांत लेकर
वह नशे में चूर है।
जन सरोकारों से दूर
आम आदमी से दूर है।।
क्यों नहीं आवाज़ से
आवाज़ मिल पाती है अब
होटलों से झोंपड़ी
है दूर कितनी दूर है।।
क्या वो सोने की खदानों
से हुआ है अवतरित
कौड़ियों में अपनी किस्मत
उस्की कोहिनूर है।।
क्यों नहीं जाती है गंगा
अपने अंतिम छोर तक
दूर हैं दिल्ली से हम
या हमसे दिल्ली दूर है।।
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