हाँ यही है हुनर ज़माने का।

हर कही बात भूल जाने का।।

मेरा रोना भी उसको लगता है

कोई अंदाज़ गुनगुनाने का।।

उसने शाइस्तगी सी पा ली है

सब की बातों में अब न आने का।।

उसकी आँखों की शोखियाँ देखों

रंग है इक शराबखाने का।।

पास उसके है हुस्न की दौलत

जैसे जलवा किसी ख़ज़ाने का।।

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