विरासतें इस तरह बचाएंगे।

एक एक करके बेच खाएंगे।।

आप अब खुद को ही बचा लीजे

आप क्या हमको आजमाएंगे।।

आप को इस तरह निचोड़ेंगे

चाह कर आप बच न पाएंगे।।

ये न समझो की मार ही देंगे

आप बस जान से न जायेंगे।।

साल सत्तर सिर्फ गुलाम रहे

ये तवारीख हम पढ़ाएंगे।।

सुरेशसाहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है