कोई बेशक़ गुलाब है तो क्या।
वो कहीं का नवाब है तो क्या।।
अपनी ख़ुद्दारियाँ न बेचूँगा
लाख हालत ख़राब है तो क्या।।
उनके कहने से मर न जाऊंगा
ज़िंदगानी अज़ाब है तो क्या ।।
वो हक़ीक़त तो हो न जाएगा
सच के जैसा ही ख़्वाब है तो क्या।।
आदमियत नहीं तो लानत है
उसका इतना रुआब है तो क्या।।
कौन भर पायेगा जगह किसकी
लाख उसका जवाब है तो क्या।।
कौन सानी है साहनी तेरा
वो भले लाजवाब है तो क्या।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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