चाँद भी इतना मुनव्वर कब रहा।

आपका जलवा सिमटकर कब रहा।।


मेरे क़द से क्यूँ ख़ुदा हैरान है

मैं भला उसके बराबर कब रहा।।


चाँद था कल रात पहलू में मेरे

पर कभी धरती पे अम्बर कब रहा।।


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