छोड़ आया कुछ खास नदी में।

छूटा  जब   मधुमास  नदी में।।


हिमगिरि का सन्यास नदी में

बह निकला अभ्यास नदी में।।


पार गया फिर क्या लौटेगा

डूब गया विश्वास नदी में।।


चाँद तुम्हारे साथ किसी दिन

उतरा  था  आकाश नदी में।।


आज नदी खुद ले आयी है

सागर का एहसास नदी में।।


तेरी  जुल्फें  ही  थी  गोया

इतना था विन्यास नदी में।।


उसकी आँखों में मत झाँको

है इक गहरी प्यास नदी में।।


आज नदी मद्धम बहती है

पहले था उल्लास नदी में।।


दिल मेरा मुश्किल है मिलना

खोया था  बिंदास नदी में।।

सुरेश साहनी अदीब, कानपुर

सम्पर्क- 9451545132

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