ठीक ठाक जिंदगी नहीं है।

अब मज़ाक ज़िन्दगी नहीं है।।

भाषा का संतुलन जरूरी

तू - तड़ाक ज़िन्दगी नहीं है ।।

अपना घर देखो औरों में

ताक-झाँक ज़िन्दगी नहीं है।।

शर्मनाक होते हैं करतब

शर्मनाक ज़िन्दगी नहीं है।।

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