केहू बिखर गइल इहाँ केहू उजर गइल।

देखलीं न केहू प्यार में परि के संवर गइल।।

मिलला के पहले इश्क में दीवानगी रहल

भेंटली त सगरो भूत वफ़ा के उतर गइल।।

अईसन न जिन्नगी मिले केहू के रामजी

जवानी उहाँ के राह निहारत निकर गइल।।

कहलें जफ़र की जीन्नगी में चार दिन मिलल

चाहत में दू गइल  दू अगोरत गुजर गइल।।

उनका के देख लिहलीं करेजा जुड़ा गइल

उ हमके ताक दिहलें हमर प्रान तर गइल।।

भटकल भीनहिये सांझ ले उ घर भी आ गईल

बा बड़ मनई जे गिर के दुबारा सम्हर गईल।।

हम आपके इयाद में बाटी इ ढेर बा

इहे बहुत बा आँखि से दू लोर ढर गइल।।


- Suresh Sahani

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