कुछ मदमाता कुछ अलसाया।

#फागुन आया फागुन आया।।

बाबा भटक रहे महुवारी

मह मह महक रही अमवारी

ये बौराए वो बौराया।। फागुन आया....

बासन्ती पतझर सी होली

घर अँगनाई हंसी ठिठोली

सब कुछ सबके मन को भाया।।फागुन आया..

लेकिन सब कुछ सही नहीं है

खेती बाड़ी सही नहीं है

बजट देख कर सर चकराया।।फागुन आया.

सुरेशसाहनी ,कानपुर

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