मेरा किरदार मुझसे डर रहा है।
कोई मुझमें अज़ीयत भर रहा है।।
मेरे साये मेरे कद से बड़े हैं
कोई माज़ी से रोशन कर रहा है।।
मेरी यादों यहाँ से लौट जाओ
कहाँ तक काफिला रहबर रहा है।।
बुलाती हैं हमें भी कहकशांएँ
मेरा परवाज़ हरदम सर रहा है।।
मेरे हाथों में मरहम है ,शिफ़ा है
तुम्हारे हाथ मे नश्तर रहा है।।
ज़फा के पल फ़क़त दो चार होंगे
मुहब्बत से सबब अक्सर रहा है।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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