काश कि हम बदल गए होते।
चंद सपने तो पल गए होते ।
हम अगर दिल की बात ना सुनते
गिरते गिरते सम्हल गए होते।।
अपना गिरना हमें नहीं खलता
साथ जो तुम फिसल गए होते।।
हम भी आला मुकाम पर होते
तुम भी आगे निकल गए होते।।
टूटकर हम कहाँ कहाँ बिखरे
बच भी जाते तो ढल गए होते।।
हमने ग़म को सम्हाल रखा है
वरना चश्मे उबल गए होते।।
Suresh Sahani
Kanpur
Comments
Post a Comment