मैं भी उसके  प्यारों में था।

यार नही था यारों में था।।

शायद उसको याद नहीं हो

मैं कल के अखबारों में था।।

जनता नाहक ही लड़ बैठी

मसला तो सरकारों में था।।

बाकी दिन भी जीने के हैं

माना रंग बहारों में था।।

उसकी फाकामस्ती देखो

वो कल के ज़रदारों में था।।

जाने कैसे भूल गया है

मैं उसके किरदारों में था।।

बस्ती बस्ती पगड़ी उछली

झगड़ा इज़्ज़तदारों में था।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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