ख्वाब गुम हैं 

ख्वाबिदा आँखें तो हैं।

नींद है  बेआसरा    

होती रहे    रातें तो हैं।।

दूर तक कोई दिया भी ना मिले

राहबर हों  तीरगी के काफिले

हाँ मगर कुछ जुगनुओं की हलचलें

बेअसर हैं फिर भी

 उम्मीदें तो हैं ।।

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