तुमने उनके नारे
दीवारों पर लिखे
उनके विचार
फ्रेम में मढ़ दिये
तुमने उन्हें मूर्तियों में
समेट दिया
और खुद सिमट गये
सोचो गलती कहाँ हुई?
चलो फिर से
नारे हवा में उछालते हैं
विचार आत्मसात करते हैं
और उनको हृदय में बिठाते है
कल फिर फैलने के लिए!!!!
तुमने उनके नारे
दीवारों पर लिखे
उनके विचार
फ्रेम में मढ़ दिये
तुमने उन्हें मूर्तियों में
समेट दिया
और खुद सिमट गये
सोचो गलती कहाँ हुई?
चलो फिर से
नारे हवा में उछालते हैं
विचार आत्मसात करते हैं
और उनको हृदय में बिठाते है
कल फिर फैलने के लिए!!!!
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