आज नहीं तो कल सुधरेगा।
निश्चित कमअक्कल सुधरेगा।।
बेमौसम ही बरस गया है
जाने कब बादल सुधरेगा।।
शहर जंगलों से बदतर है
कहते हैं जंगल सुधरेगा।।
कर ले मात पिता की सेवा
इससे तेरा कल सुधरेगा।।
परमारथ में ध्यान लगा ले
इससे मन चंचल सुधरेगा।
जब सब डाकू बन जायेंगे
तब जाकर चम्बल सुधरेगा।।
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा
तब अंचल अंचल सुधरेगा।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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