रात को सोते समय
रात भर
और सुबह उठने पर भी
मैं असामान्य होता हूँ
मेरे अंदर कुछ है
जो हिंसक है
जो दंभी है
जो आलसी है
जो स्वार्थी है
जो भीरु है
बेहया है और
डरता भी है
डरता है उस समाज से
जिसमे स्त्री का
स्त्री होना ही अपराध है।
अरे आज महिला दिवस है
महिला दिवस!
तो क्या
मैं उठकर चाय बनाऊं?
#सुरेशसाहनी
Comments
Post a Comment