किसी कोने से दानिशवर नहीं हूँ।
मैं अच्छा हूँ मगर बेहतर नहीं हूँ।।
तेरा बीमार हूँ इतना पता है
बस इतना है सरे-बिस्तर नहीं हूँ।।
न जाने मैं कहाँ खोया हुआ हूँ
कि घर पर होके भी घर पर नहीं हूँ।।
अगर तू है तो मैं हूँ सुन ले साकी
मैं शीशा हूँ कोई सागर नहीं हूँ।।
ज़माने के ज़हर कितना पियूँ मैं
मैं आदमजात हूँ शंकर नही हूँ।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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