बहाने बनाने की आदत नहीं है।

मेरी सच छुपाने की आदत नहीं है।।

तुम्हे याद करने की फुर्सत नहीं है

मेरी भूल जाने की आदत नहीं है।।

तुम्हारे सितम हँस के सहते रहेंगे

भले चोट खाने की आदत नहीं है।। 

खामोशी को मेरी न शिकवा समझना

यूँही मुस्कराने की आदत नहीं है।।

तेरे हुस्न में बेख़ुदी है बला से

मेरी लड़खड़ाने की आदत नहीं है।।

जवानी में आकर बहकने लगे हो

मेरी लाभ  उठाने की आदत नहीं है।।

सुरेश साहनी कानपुर

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