शाम को सूरज को जाता देख कर

सिरफिरी सी रात गहराने लगी।

पर सुबह आहट उषा की देखकर

कालिमा काई सी छितराने लगी।।


साल आते और जाते है  मगर

इक मुसाफ़िर को सफर दरकार है

ठीक ऐसे ही कलम चलती रहे

सोचना क्या कौन सी सरकार है।।


आपको शुभकामना नववर्ष की

स्वास्थ्य सुख समृध्दि और उत्कर्ष की

और हम मिलकर लुटाये वर्ष भर

नेमतें, सद्भाव की आदर्श की।।

सुरेशसाहनी

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