कोई जब तुझसे प्यार करता है।

ग़ैर से क्यूँ क़रार करता है।।


जिससे चाहे निभा निभा लेकिन

कोई तो ऐतबार करता है।।


मौत का एक दिन मुअय्यन है

रात क्यों इंतशार करता है।।


झाँक उसकी निगाह में आकर

जो तेरा इंतज़ार करता है।।


तीर तेरे उसी की जानिब हैं

तुझपे जो जाँनिसार करता है।।


क्यों न  राहत हो जान देने में

अपना कोई जो वार करता है।।


इश्क़ माने है दिल के बदले दिल

क्या  ये कोई उधार करता है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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